Dwell time और bounce rate क्या है - ldkalink

Dwell time-Bounce rate kya hai: आज के इस आर्टिकल में हम आखिर Dwell time और Bounce rate आखिर होता क्या है और इन दोनों में अंतर क्या है यह SEO में क्यों इतना इंपोर्टेंट है इसके बारे में स्टेप बाय स्टेप समझने वाले है Google Search Engine के साथ साथ Bing भी रैंकिंग फैक्टर में इसे महत्वपूर्ण समझता है। 

किसी भी वेबसाइट या web page पर  यूजर या Audience का experience कैसा रहा यह बहुत ही इंपोर्टेंट रोल प्ले करता है अगर हम रैंकिंग फैक्टर के बारे में बात कर रहे है।

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Dwell time और bounce rate क्या है


रैंकिंग की अगर बात की जाए तो इससे पहले भी हमने www.ldkalink.com पर page rank algorithm क्या है इसके बारे में बात की थी यह सबसे पुरानी algorithm में से एक थी पर इसका उपयोग आज के समय में किस तरह से किया जा रहा है इसमें बताया गया था यह भी Dwell time की तरह में seo में अपना काम करता है। 

Dwell time क्या होता है 


What is dwell time in Hindi: जब किसी यूजर द्वारा कोई keyword सर्च करके search engine results page में किसी web page पर क्लिक करता है और इस पेज पर 15 मिनट तक रहता है तो यहां पर उस website के लिए Dwell time 15 minute हुआ।  

अब यदि वह इस पेज से बाहर आकर search लिस्ट में से किसी दूसरे webpage पर क्लिक करता है और यह वह मान लो 45 सेकंड तक टाइम स्पेंड करता है तो इस साइट के लिए Dwell time 45 second का हुआ। 

कोई भी यूजर किसी साइट पर 15 मिनट तक तभी रुकेगा जब उसको उसके content से सेटिस्फेक्शन मिल रहा होगा यानि उसका user experience अच्छा हों।

अब आपको अच्छे से समझ आ गया होगा की Dwell time किसे कहते है अब हम जानेंगे की Dwell time और Bounce rate इन दोनो में आखिर क्या अंतर होता है। 


Dwell time और Bounce rate में क्या अंतर है


Difference between Dwell time and Bounce rate in Hindi: ये दोनो देखने में एक जैसा ही लगते है पर इन दोनो में थोड़ा difference होता ही है सबसे पहले हम Bounce rate को समझते है। 

Bounce rate kya hai: यूजर किसी साइट पर गया और वहा पर 10 मिनट तक रहा लेकिन इसी पेज के अंदर ही Internal linking पर क्लिक किए बिना ही वापस आ गया तो जितना भी टाइम यूजर द्वारा इस साइट पर टाइम स्पेंड किया गया इसे ही बाउंस रेट कहा जाता है। 

यह भी Dwell time के तरह ही कार्य करता है इसमें भी ऐसे ही टाइम स्पेंडिंग को कैलकुलेट किया जाता है की यूजर किसी साइट पर कितने देर तक रहा और फिर वह वापस आ जाता है। 

लेकिन Bounce rate से यह पता नही चल पाता की यूजर इस पेज के content से satisfied हुआ है की नही, तो इसकी पूरी जानकारी हमे Dwell time से मिलती है। 

बाउंस रेट की सहायता से सिर्फ यही पता चल पाता है की यूजर कितने देर तक किसी website पर रहा, इससे यह जानकारी नही मिल पाती है की वह इसी साइट के दूसरे link पर क्लिक करके दूसरे पेज पर गया है या नही, अगर देखा जाए तो इससे ज्यादा कुछ इन्फॉर्मेशन नही मिल पाती है। 

अगर कोई यूजर किसी साइट पर 5 सेकेंड तक रहा तो इससे यह पता लगता है इस साइट का user experience सही नही होगा, इसके कई कारण हो सकते है ।

User experience सही नही होने के कारण में page loading का टाइम ज्यादा होना, relevant content का नही हो पाना, गलत कीवर्ड put करना, keyword spamming या पेज में किसी तरह का एरर होना हो सकता है इसलिए यूजर 5 सेकेंड में ही वापस आ गया। 

जिस साइट का dwell time जितना ज्यादा होगा इससे यह पता चल जाता है की यूजर कंटेंट से satisfy है और इस तरह से यह seo में अपना इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है अब हमारे लिए यह क्यों जानना आवश्यक होता है की यूजर को कंटेंट से satisfaction मिल रहा है की नही। 

यह जानना हमारे लिए कम इंपोर्टेंट है बल्कि google के लिए ज्यादा ही महत्वपूर्ण है क्यों की इससे ही हमारे वेबसाइट की रैंकिंग डिसाइड की जाएगी जितना ज्यादा हमारे साइट की dwell time होगा उतने ही वेबसाइट की रैंकिंग हाई होगी। 

अब सवाल यह आता है की आखिर Dwell time कैसे बढ़ाएं तो इसके लिए qulity content का होना जरूरी है बेस्ट relevant content हो, page loading सही हो, Technical seo पर फोकस करना चाहिए।

जितना ज्यादा हमारा वेब पेज का कंटेंट साफ सुथरा, अच्छा, क्वालिटी, रेलीवेंट होगा उतना ही यह हमारे लिए अच्छा होगा। 

इस आर्टिकल में हमने जाना की Dwell time क्या होता है साथ ही यह Bounce rate से यह कैसे अलग होता है इसके बारे में भी जाना, यदि यह पोस्ट आपके लिए थोड़ा भी हेल्पफुल रहा होगा तो इसे अपने दोस्तो के साथ Facebook, Instagram, Twitter जैसे social site पर जरूर शेयर करे।

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