अभ्यास ही सफलता की कुंजी motivational story - ldkalink

अभ्यास ही सफलता की कुंजी motivational story in Hindi: आज के इस आर्टिकल में हम अभ्यास ही सफलता की कुंजी होती है को प्रेरणादायक कहानी (prernadayak kahani) को एक साधारण से कहानी के रूप में समझने वाले हैं। 

यह कहानी उन सभी लोगो के लिए है जो हमेशा अपने जीवन में आगे बढ़ने का सोचते रहते हैं और कहीं ना कहीं किसी कारण वश पीछे रह जाते हैं। 

हम सभी अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहना तो चाहते हैं और इसके लिए प्रयास भी करते रहते हैं पर हममे कुछ कमी होने के कारण कहीं ना कहीं हम पीछे रह जाते हैं। 

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अभ्यास ही सफलता की कुंजी motivational story

आखिर हम अपने काम में क्यों पीछे रह जाते हैं क्या कारण होता है जो हम जिस समय पर अपने काम को जिस तरीके से पूरा करना चाहते हैं उसे समय पर सही तरीके से पूरा नहीं कर पाते है। 

हर एक व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता है और इसके लिए वह सफलता का रहस्य ढूंढने में लगा रहता है कि आखिर उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। 

आज के इस आर्टिकल में www.ldkalink.com पर आपके लिए एक ऐसी मोटिवेशनल स्टोरी अभ्यासी सफलता की कुंजी को लेकर आए हैं जिसे पढ़ने के बाद आप जरूर मोटिवेट होते हैं जो आपको आपके जीवन में कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है। 

अभ्यास ही सफलता की कुंजी है 


Abhyas hi safalta ki kunji hai: यह कहानी रामू नाम के एक ऐसे विद्यार्थी की है जो अपने आप को कमजोर समझता है और वह हमेशा अपने पढ़ाई में दूसरे विद्यार्थी से पीछे ही रहता है। 

रामू दूसरे विद्यार्थियों की तरह रोज समय पर ही स्कूल जाता और आता है और सभी विद्यार्थियों की तरह ही वह क्लास में बैठकर गुरुजी के द्वारा पढ़ाया हुआ हर एक चीज को बहुत ही अच्छे से सुनते रहता है। 

पर फिर भी रामू दूसरे विद्यार्थियों से हमेशा पीछे रह जाता है आखिर राम को यह बात समझ में नहीं आती है कि आखिर क्यों वह अपने साथियों से पढ़ाई में पीछे रह जाता है। 

रामू हमेशा अपने क्लास में शिक्षकों से डांट खाते ही रहता हैं क्योंकि शिक्षकों के द्वारा बताए गए मार्गदर्शन में नहीं चलता है कभी शिक्षकों के द्वारा दिए गए गृह कार्य को अच्छे से नहीं करता है। 

किसी दिन मन नहीं लगने के कारण वह काम को पूरा करता जिसके कारण से वह हमेशा स्कूलों में डांट खाते ही रहता हैं। 

पेपर आने के समय रामू अपने इसी कमजोरी के कारण हमेशा पीछे रह जाता था जिसके कारण वह फेल हो जाया करता है और उसके सभी साथी अगली क्लास पर चले जाते थे। 

गुरुजी एक दिन रामू की इस स्थिति देखकर एक दिन कहा मैं अपने सारे प्रयास आप पर लगा देता हूं कि आप अच्छे से पढ़ाई करके हमेशा आगे बढ़ते रहो, पर आपकी मेहनत ना करने के कारण आप कहीं ना कहीं पीछे हो जाते हो। 

एक दिन की बात है जब गुरुजी अपने प्रयासों से हार मन कर रामू से कहा कि बेटा अब तुम यह पढ़ाई छोड़ दो, पढाई तुम्हारे बस की बात नहीं है क्योंकि मैं अपनी तरफ से सारे प्रयास करके देख लिया हु। 

और अब मैं यही सोचता हूं कि तुम यहां अपना समय अब बिल्कुल भी बर्बाद ना करो और अपने घर जाकर घर वालों के काम में मदद करने लगो। 

यह सुनकर रामू बहुत ही दुखी होता है और अपने पढाई के बारे में सोचने लगता है कि शायद विद्या मेरी किस्मत में ही नहीं है जिससे कि मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा हूं और इस तरह से गुरूजी द्वारा उन्हें स्कूल से अब निकाल दिया जाता है।

इस तरह से रामू द्वारा स्कूल छोड़ दिया जाता है और दोपहर के समय स्कूल से बाहर निकाल कर घर की ओर जाने लगता है।

दोपहर का समय होता है गर्मी तेज होती है घर जाते समय रामू को बहुत ज्यादा जोर से प्यास लगती है वह पानी पीने के लिए इधर-उधर देखने लगता है और देखते देखते वह आगे की ओर बढ़ते जाता है। 

थोड़ी देर बाद उसे रास्ते में एक महिला कुएं से पानी भरते हुए दिखाई देती है रामू उसके पास जाता है और उस महिला से कहता है मुझे प्यास लगी है कुछ पानी दे दो। 

पानी पीते समय रामू की नजर उस कुएं के पत्थर पर पड़ती है जहां पर रस्सी की सहायता से पानी निकाला जाता है। 

रामू सोच में पड़ जाता है कि आखिर यह जगह दूसरे जगह से कैसे अलग दिख रहा है यहां पत्थर पर निशाना क्यों पड़ गया है और अपने प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए उस महिला से एक प्रश्न करता है इस जगह पर ही यह निशान आपने क्यों बनाए है। 

रामू का प्रश्न सुनते ही उस महिला ने हंसकर बहुत अच्छे तरीके से रामू को जवाब देता हैं बेटा इस पत्थर पर यह निशान जो दिख रहा है यह निशान हमने नहीं बनाया है। 

यह निशान तो पानी भरते समय कुएं से पानी निकालते समय कोमल रस्सी के बार-बार उपर नीचे आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन जाते हैं।

रामू के मन में एक विचार आता है कि जब एक कोमल रस्शि के बार-बार ऊपर निचे आने-जाने से ठोस पत्थर पर भी गहरे निशान अगर बन सकता है तो उसके निरंतर अभ्यास से भी वह अच्छे से विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता है। 

अब रामू अपनी पूरी उत्साह के साथ फिर से उस स्कूल में जाता है और गुरुजी से अनुमति लेता है कि वह फिर से इस स्कूल में पढ़ना चाहता है।

गुरु जी को यह बात समझ में नहीं आती है कि आखिर यह काम क्यों करना चाह रहा है उसने रामू से पूछा अभी-अभी कुछ समय पहले ही सुनने पढ़ाई न करने का सोच लिया था पर आप कैसे फिर से अब पढ़ने का मन बना लिया है। 

रामू ने शिक्षक को बताया कि थोड़े देर पहले जब मेरे को प्यास लगी थी और मैं पानी पीने कुएं के पास गया था तो मैं एक महिला से प्रश्न किया था कि इस पत्थर पर गहरे निशान किस चीज के हैं। 

तो उस महिला ने मुझे बताया कि यह निशान पानी भरते समय कोमल रस्सी के बार-बार ऊपर नीचे जाने से बना है तभी से मेरे मन में एक विचार आया है कि जब एक कोमल रस्सी से पत्थर पर निशान पड़ सकते हैं तो मेरे बार-बार अभ्यास करने से क्या मैं विद्या ग्रहण नहीं कर सकता हूं। 

यह सुनते ही गुरुजी बहुतप्रसन्न होते हैं और उन्हें आगे पढ़ने का भी सोच लेते है और पहले  जैसे ही अपने प्रयासों को उन पर लगा देते हैं। 

रामू अपनी पढ़ाई को निरंतर जारी रखता है गुरु जी के हर बताया गए मार्ग का अनुसरण करते हुए वह हमेशा आगे बढ़ता जाता है। 

देखते ही देखते ही एक दिन यही मन बुद्धि का बालक आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान के रूप में दुनिया के सामने आता है देखते देखते ही उनके द्वारा कई तरह की पुस्तक की रचना कर दी जाती है रामू को उस दिन की बात उसके मन में बैठ जाने के कारण वह आज एक सफल व्यक्ति बन जाता है। 

अभ्यास ही सफलता की कुंजी का सार

अभ्यास ही सफलता की कुंजी है: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अभ्यास ही एक ऐसी शक्ति है जो हमारे हर सपने को पूरा कर देती है इसलिए अभ्यास बहुत जरूरी होता है चाहे वह खेल में हो, पढ़ाई में हो या फिर किसी अन्य चीज में, अभ्यास करते समय हममे धैर्य, परिश्रम और लगन का होना बहुत जरूरी होता है।

बिना अभ्यास के हम कभी भी सफल नहीं हो सकते यदि हम सोचते हैं कि अभ्यास न करके किस्मत के भरोसे बैठे रहेंगे कि यदि हमारे किस्मत कुछ होगा तो हमें जरूर मिलेगा तो यह गलत सोच होती है।

जब हम अपने मंजिल को पाने का सोचते हैं तो जिस तरह से हम आगे बढ़ने का तेजी से सोचते रहते हैं ठीक उसी तरह से यदि हम अपने काम को अंजाम देने के लिए लगातार अभ्यास करते रहते हैं तो एक दिन हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति जरूरत होती है। 


अभ्यास ही सफलता की कुंजी को हम कई तरह के उदाहरण से और अच्छे से समझ सकते है जैसे की: 

1.     बच्चों का चलना सीखना 


बच्चा जब छोटा होता है तो वह चलने के लिए बार-बार प्रयास करता है इस दौरान वह कई बार गिरता है फिर उठकर संभलकर कर फिर से चलने की कोशिश करने लगता है और तब तक बार-बार अभ्यास करते रहता है जब तक की वह चलना न सीख जाए। 

इससे हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि यदि हम अपने कार्य में आगे बढ़ना चाहते है तो उस कार्य में अभ्यास का होना बहुत जरूरी है।

2.     रोज का छोटा-छोटा प्रयास ही एक दिन बड़ी सफलता दिलाती है 


हमारा रोज का छोटा प्रयास ही हमें एक दिन बड़ी सफलता दिलाती है इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं आपने कभी नोटिस किया होगा कि यदि किसी पत्थर पर पानी की बूंद लगातार गिरते रहे तो, वह उस जगह पर छेद कर देती है। 

ठीक इसी तरह से यदि हम किसी काम को लगातार बिना रुके बार-बार अभ्यास के साथ करते रहे तो, हमें अपने काम में एक दिन सफलता जरूर मिलती है चाहे हमारा प्रयास कितना ही छोटा क्यों न हो।


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