motivational story in Hindi किसी को छोटा ना समझे - ldkalink

motivational story for kids किसी को छोटा ना समझे:  हमारे जीवन में कभी-कभी  ऐसा भी कुछ देखने को मिलता है जब हम किसी अनजान पर्सन से मिलते हैं तो वहां हम अपने आप को बड़ा दिखाने में लग जाते हैं ।

अपने कुछ शब्दों में सामने वाले को नीचा दिखाने की भी कोशिश भी करते हैं तो आज के इस आर्टिकल में www.ldkalink.com पर हम एक ऐसे प्रेरणादायक कहानी (prernadayak kahani) को आपके सामने लेकर आए हैं जिसे पढ़ने के बाद में आपको कहीं ना कहीं किसी के बारे में भी अच्छा सोचने के लिए प्रेरित जरूर करेगा।  

तो चलिए अब हम किसी को छोटा ना समझे मोटिवेशनल स्टोरी को आगे बढ़ते हुए इसके बारे में जानते हैं कि यह किस तरह से हमें मोटिवेट करता है और इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है। 

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motivational story in Hindi किसी को छोटा ना समझे

motivational story in Hindi for kids 

किसी को छोटा ना समझे: यह कहानी एक व्यापारी और एक नाव वाले की है जिसमें नाव वाला एक अनपढ़ आदमी होता है और बिजनेसमैन एक पढ़ा लिखा सक्सेसफुल पर्सन होता है जो सफलता का रहस्य क्या है अच्छी तरह से जानता होता है तभी वह एक सक्सेसफुल पर्सन बना होता है। 

एक समय की बात होती है जब वह बिजनेसमैन बिजनेस के सिलसिले में एक गांव की ओर बढ़ता है जिस गांव में वह जा रहा होता है वह गांव बहुत छोटा होता है। 

गांव में जाने का उसका एक ही परपज होता है कि वह अपने बिजनेस के सिलसिले में एक फैक्ट्री का निर्माण यहां करें।

वह इस गांव में एक ऐसी फैक्ट्री लगाना चाहता है जो बहुत बड़ा होता हो, क्योंकि शहरों में फैक्ट्री लगाना मुश्किल काम होता है इसलिए उन्हें एक ऐसा जगह चुनना पड़ता है जो शहर से दूर हो और फैक्ट्री भी बढ़िया आसानी से बन सके इसलिए वह इस गांव को चुनता है।

गांव के पहुंचने के थोड़े दूर पहले ही वह एक ऐसी जगह पर पहुंच जाता है जहां पर उसके सामने एक बड़ी सी नदी होती है और उस नदी को पार करने के बाद ही वह गांव आता है।

गांव तक पहुंचने के लिए उसके सामने दो रास्ते होते हैं एक जो उसको बहुत जल्दी पहुंचा देगा यानी नदी को पार करके और दूसरा रास्ता यह होता है की यदि नदी को पार न किया जाये तो गांव तक पहुंचने में उसे  लगभग 3 घंटे भी लगा सकते थे। 

दोनों रस्ते के अलावा उनके पास कोई और रास्ता नहीं था कि वह डायरेक्टर इस गांव में पहुंच सके, वह बिजनेसमैन थोड़ी देर सोचता है और यह डिसाइड करता है कि वह नाव में बैठकर ही उस गांव तक पहुंचेगा क्युकी नदी पार करने में सिर्फ 20 मिनट का ही समय लगता है। 

बिजनेसमैन अपना दिमाग लगाते हुए यही सोचता है कि क्यों न 3 घंटे का समय लगने की वजह 20 मिनट की दूरी नाव में ही तय करके उस गांव तक पंहुचा जाए और वहयह फैसला लेता है कि नाव से ही वह उस गांव तक जाएगा। 

नाव का साइज छोटी होने के कारण एक तरफ नाव वाला बैठता है और दूसरी ओर वह बिजनेसमैन बैठता है नाव में बैठने के बाद उस बिजनेसमैन ने उस नाव चलाने वाले से पूछा, आपको पता भी है कि आपके नाव में अभी कौन बैठा है। 

नाव चलाने वाले ने बड़े ही मुस्कुराते हुए अपने भोलेपन से कहा, नहीं साहब मैं आपको नहीं जानता हूं कि आप कौन हो। 

बिजनेसमैन उसकी बात सुनकर कहा अरे तुम अखबार नहीं पढ़ते हो क्या, गांव वाले ने उत्तर दिया साहब मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं जिसके कारण से मैं अखबार नहीं पढ़ता हूं। 

बिजनेसमैन ने गांव वाले को बताया कि अखबार में मेरी फोटो एक या दो दिन में अक्सर छापते ही रहती है अगर तुम्हें पढ़ना आता तो तुम मेरे को अभी जान गए होते। 

नाव वाले ने बताया की उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर चुके थे जिसके कारण से वह अपने आगे की पढ़ाई नहीं कर पाया होता है और अपना और अपने परिवार का जीवन चलाने के लिए एक छोटे से नाव का सहारा लेता है। 

नाव वाले ने बताया कि अपना पूरा परिवार की जिम्मेदारी होने के कारण ही उसने अपना यह काम शुरू किया था जो आज वह करते आ रहा है। 

बिजनेसमैन उसके उत्तर को सुनते हुए उसका थोड़ा मजाक उड़ाते हुए कहा अरे तुम तो अनपढ़ हो, तुम पढ़े लिखे नहीं हो इसलिए तुम्हें पढ़ना नहीं आता और तुम दुनिया में क्या हो रहा है उसको भी नहीं जान रहे हो। 

बिजनेसमैन ने कहा, ऐसी भी जिंदगी का क्या फायदा जो दुनिया में होने वाली बातों के बारे में ही ना जान पाए। 

यह सुनकर उस नाव चलने वाले को बहुत बुरा लगा, लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा और अपना नाव आगे बढ़ाता गया। 

बिजनेस ने अपना उद्देश्य बताया कि वह इस गांव में क्यों आ रहा है उसने बताया कि कुछ दिनों के बाद नदी के बाद जो गांव है उस जमीन पर एक बड़ी सी फैक्ट्री लगाने वाला है जहां पर एक मिनरल वाटर का फैक्ट्री तैयार किया जाएगा। 

गांव वाले को उनके शब्द समझ ही नहीं आये और समझ ही नहीं पाया कि किस तरह का फैक्ट्री यहां बनने वाला है।

गांव लेने ने बताया मैं कभी भी इस गांव से बाहर गया ही नहीं हूं इसलिए मुझे नहीं पता कि आप किस तरह की फैक्ट्री के बारे में बात कर रहे हैं। 

बिजनेसमैन यह सुनकर गांव वाले पर हंसने लगा, उसने कहा तुम अभी तक इस गांव से बाहर नहीं गए हो फिर तो तुम्हें पता ही नहीं होगा कि शहर क्या होता है और शहर में किस तरह से जिंदगी बिताये जाती है ऐसी जिंदगी का फिर जीने का क्या फायदा। 

बिजनेसमैन के इस तरह की बातों से अब नाव वाले का मन उदास सा हो गया फिर भी वह शांत मन से अपने नाव को आगे बढ़ाता जाता है। 

उनकी इस तरह की बातो से उसे बुरा लगते के साथ अब उसके मन में यह भी ख्याल आने लगता है कि बिजनेसमैन जो कह रहा है वह सही बात है ऐसे भी जिंदगी का क्या फायदा जो दुनिया के बारे में न जानता हो जो पढ़ा लिखा ही ना हो।  

यह सब सोचते सोचते नाव वाले का ध्यान नाव चालने से थोड़ा सा हट जाता है और उसकी नाव एक बड़े से पत्थर से जा टकराती है। 

नाव का पत्थर से टक्कर होने पर नाव में छोटा सा छेद हो जाता है और नाव में पानी भरना शुरू हो जाता है देखते-देखते नो में और ज्यादा पानी भरने लगता है। 

जिस जगह पर नाव पत्थर से टकराता है वह जगह बहुत गहरा होता है वह जगह किनारे से बहुत दूर पर होता है ऐसा नहीं हो पता है कि तुरंत ही नाव से उतरकर किनारे पर चला जाये।  

नाव में पानी भरते देख उस नाव वाले ने बिजनेसमैन से पूछा आपको तैरना तो आता है ना, यह सुनकर वह बिजनेसमैन घबरा जाता है कि वह इस तरह से क्यों पूछ रहा है क्योंकि वह जानता है की मुझे तो करना नहीं आता है। 

बिजनेसमैन ने बताया कि मैंने आज तक तैरना  नहीं सीखा है मुझे पानी में तैरना आता ही नहीं है यह सुनकर नाव वाले को हंसी जा जाती है कि उसे तैरना नहीं आता, उसने बड़े मुस्कुराते हुए बिजनेसमैन से कहा ऐसे भी जिंदगी का क्या फायदा जो तैरना ही ना जानता हो। 

यह सुनकर बिजनेसमैन को अपनी गलती का एहसास होने लगता है उसे लगता है कि मुझे इसका मजाक नहीं उड़ाना था स्थिति स्थिति सही नहीं होने के कारण हो सकता है वह आज पढ़ा लिखा नहीं होगा।  

नाव में पानी भरते देख बिजनेसमैन ने गांव वाले से कहा प्लीज मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं मुझे इस पानी से बचा लो, तुम जो मांगोगे जो तुम चाहोगे सब कुछ तुम्हें दे दूंगा, बस मेरी जान किसी भी तरह से बचा लो। 

गांव वाला बड़ा सीधा होता है उसने कहा अरे साहब आप बिल्कुल भी ना घबराये, मुझे सिर्फ तैरना ही नहीं आता बल्कि मैं तैरते हुए दूसरों को डूबने से बचा भी लेता हूं आप बिल्कुल भी ना घबराए। 

बस आप मुझे कसकर पकड़े रहो मैं आपको कुछ भी नहीं होने दूंगा इस तरह से उस गांव वाले में उस बिजनेसमैन को पानी से बचा लिया। 

बिजनेसमैन की जान बचने के बाद वह उस नाव वाले से काफी खुश हुआ और उसे यह भी एहसास हुआ कि किसी भी छोटे आदमी को निचा नहीं दिखना चाहिए, हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ कमी होती है और हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ एक विशेष गुण भी होता है जो हमें समय आने पर ही दिखाई देता है। 

किसी को छोटा ना समझे इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

किसी को छोटा ना समझे: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए और ना ही उसे अपने से छोटा समझना चाहिए क्योंकि हमें यह नहीं पता होता है कि कब, कहां और कैसे  वह हमारी मदद कर दे।  

आज के इस आर्टिकल को यदि आपने पूरा पड़ा होगा तो कहीं ना कहीं आप इस कहानी से मोटिवेट जरूर हुए होंगे, इस ब्लॉग पर मोटिवेशनल स्टोरी के रूप में कई तरह से आपको मोटिवेट किया जाता है। 

जो आपको हमेशा आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है मोटिवेशनल स्टोरी से रिलेटेड कुछ और स्टोरी आपको नीचे बताया गया है यदि आपने यह नहीं पढ़ा है तो इसे एक बार जरूर रीड करें। 

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