ब्लॉगिंग हिंदी में करें या इंग्लिश में - ldkalink

ब्लॉगिंग हिंदी में करे या इंग्लिश में (Blogging Hindi mein Karen ya English mein):  आज के इस आर्टिकल में हम Blogging किस लैंग्वेज (Bhasha) में करना चाहिए, कौन सा लैंग्वेज कब और क्यों सेलेक्ट करना चाहिए इसके बारे में विस्तार से जानने वाले है। 

यह आपका बहुत ही अच्छा सवाल है कि ब्लॉगिंग हिंदी में करे या इंग्लिश में, क्योंकि नए ब्लॉगर अक्सर यह कंफ्यूज होते हैं कि कौन सा लैंग्वेज में हमें ब्लॉगिंग करनी चाहिए जो हमारे लिए आगे चलकर काफी फायदेमंद हो, हिंदी में (Hindi me) ब्लॉगिंग करें या इंग्लिश में (English me). 

जब भी कोई नया ब्लॉगर इंटरनेट की दुनिया में कदम रखता है और ब्लॉगिंग स्टार्ट करने के बारे में सोचता हैं तो उसे शुरुआत में ब्लॉग्गिंग के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं होता है। 


Blogging Hindi mein Karen ya English mein
Blogging Hindi mein Karen ya English mein?


ज्यादा नॉलेज नहीं होने के कारण ही blogging के क्या फायदे है, और यह भी नहीं पता होता है की ब्लॉगिंग कैसे करते है, साथ ही ब्लॉगिंग से कितना पैसा कमा सकते है और फिर  कुछ ऐसी गलती कर बैठता हैं जो उसे आगे चलकर चार से पांच साल बाद पता चलता है जिससे कि काफी समय इसमें बेकार में चला गया होता है। 

इसलिए यह जरूरी होता है कि ब्लॉगिंग स्टार्ट करने से पहले हमें ब्लॉगिंग से रिलेटेड कुछ खास बातें पता होनी चाहिए ताकि हम सही तरीके से ब्लॉगिंग की शुरुआत कर सके। 

एक बार जब आपके ब्लॉगिंग की शुरुआत सही तरीके से हो जाती है तो आगे आपकी अर्निंग भी सही समय पर, सही तरीके से होना शुरू हो जाती है। 

आज हम ब्लॉग्गिंग लैंग्वेज से संबंधित उन टॉपिक पर बात करेंगे जो हमारे लिए काफी इंपोर्टेंट होता है कि हमें किस लैंग्वेज को सेलेक्ट करके ब्लॉगिंग स्टार्ट करना चाहिए और क्यों ऐसा करना चाहिए। 

तो चलिए अब हम जानते है कि हमें ब्लॉगिंग किस टॉपिक पर करना चाहिए हिंदी में या फिर इंग्लिश में, इन दोनों में से कौन सा लैंग्वेज हमारे लिए बेस्ट होगा, इसके बारे में अब जानते है। 

ब्लॉगिंग हिंदी में करें या इंग्लिश में ? 

ब्लॉगिंग स्टार्ट करते समय ब्लॉगिंग लैंग्वेज चूस करने के लिए कुछ फैक्टर पर ध्यान देना होता है जैसे आपकी टारगेट ऑडियंस, आपकी परफॉर्मेंस, आपकी कंफर्टेबल लैंग्वेज, और आपके ब्लॉग का टॉपिक क्या है। 

कुछ ऐसे पॉइंट्स बताएं गए जो आपको ब्लॉगिंग लैंग्वेज सेलेक्ट करने में आपकी काफी मदद करती हैं:  

हिंदी ब्लॉगिंग का चयन कब करें ? 

1. ऑडियंस रिच पर ध्यान देना:  

सबसे पहले आपको आपके टारगेट ऑडियंस पर ध्यान देना होगा, यदि आपका टारगेट ऑडियंस हिंदी-स्पीकिंग वालों में से है जैसे कि इंडिया या इसके पड़ोसी देश जो हिंदी समझते, बोलते हैं। 

जब आप हिंदी लैंग्वेज को सेलेक्ट करके ब्लॉगिंग की शुरुआत करते हैं तो आप इंडिया को टारगेट करे या ऐसे देश  टारगेट करे जो जहां हिंदी बोली, समझी, पढ़ी जाती है जिससे कि आपके ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा हिंदी बोलने वाले आर्गेनिक ट्रॅफिक्स आने लगे।

2. कंपटीशन पर ध्यान देना: 

हिंदी ब्लागिंग में दूसरे ब्लॉगिंग की अपेक्षा कंपटीशन थोड़ा कम होता है पर अब समय के साथ साथ इसमें में बहुत तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है लेकिन यदि इंग्लिश से कंपेयर करें तो, हिंदी  ब्लॉग्गिंग में थोड़ा कम कॉम्पिटिशन होता है। 

इंग्लिश ब्लॉगिंग काफी लोग करने वाले होते हैं जिससे की इंग्लिश ब्लॉग्गिंग में बहुत ज्यादा कॉम्पिटिशन होता ही है इसलिए हमें कंपटीशन को ध्यान में रखकर ही ब्लॉगिंग की शुरुआत करना चाहिए। 

यदि आप कम कंपटीशन वाले ब्लॉगिंग को स्टार्ट करते हैं तो इससे आपके वेबसाइट पर विजिटर आने की संभावना बढ़ जाती है और इससे एअर्निंग भी बढ़ जाती है।  

3. कंफर्ट लेवल पर ध्यान देना: 

यदि आपको लैंग्वेज में हिंदी सबसे ज्यादा अच्छे से आती है आप अच्छे से इसे समझ, बोल, लिख व दुसरो को समझा पाते हैं तो आपको हिंदी में ही ब्लॉग्गिंग करनी चाहिए।  

आप जिस भाषा में सबसे ज्यादा एक्सपर्ट है उस लैंग्वेज से ही अपना ब्लॉग्गिंग की शुरुआत करे, क्योंकि जितना ज्यादा आप अच्छा कंटेंट लिख पाएंगे, वहीं आपके लिए सबसे बेहतर होगा। 

इसलिए आप ऐसे लैंग्वेज का चयन करें जिसमें आप बहुत ज्यादा एक्सपर्ट हो, इससे आपको कंटेंट लिखने में थोड़ा भी परेशानी नहीं आएगी, और आप आराम के साथ क्वालिटी कंटेंट क्रिएट कर सकते है।   

इंग्लिश ब्लॉगिंग का चयन कब करें ? 

1. ग्लोबल ऑडियंस का पहुंचना: 

यदि आप इंग्लिश में ब्लॉगिंग करना चाहते हैं तो आपका सबसे पहला टारगेट ग्लोबल ऑडियंस होना चाहिए कि आप पूरे वर्ल्डवाइड पर आपके आर्टिकल को पढ़ सके, तब आप इंग्लिश ब्लॉगिंग का चयन कर सकते हैं। 

क्योंकि इंग्लिश ऐसा लैंग्वेज है जो सभी देशों में बोली जाती है, पढ़ी जाती है इसलिए आपका भी टारगेट होना चाहिए कि पूरे देश से आपके ब्लॉग पर ट्रैफिक आये। 

2. मोनेटाइजेशन: 

जब आप इंग्लिश में ब्लॉगिंग करते हैं तो हो सकता है इसमें मोनेटाइजेशन के ऑपच्यरुनिटीज आपको हिंदी लैंग्वेज से कही ज्यादा मिले ब्रॉडर ऑडियंस रीच और एडवरटाइजर्स इंटरेस्ट से। 

3. कंटेंटए वैलेबिलिटी: 

इंटरनेट पर ऑलरेडी इंग्लिश ब्लॉगिंग काफी ज्यादा होता है इसलिए इसमें कंपटीशन भी बहुत ज्यादा होता है लेकिन यदि आप किसी माइक्रो निच से रिलेटेड किसी टॉपिक पर अपना फोकस करके ब्लॉग्गिंग करना चाहते है तो यह भी आपके लिए बहुत अच्छा तरीका है। 

conclusion: 


सबसे इंपोर्टेंट चीज़ यह है कि आपकी भाषा किस चीज में कंफर्टेबल है यदि आपकी भाषा हिंदी-स्पीकिंग है जिसे आप अच्छे से बोल, समझ, लिख सकते हैं लोगों को किसी टॉपिक पर समझा सकते हैं तो निश्चित रूप से आपको हिंदी ब्लॉगिंग ही करनी चाहिए, जिससे कि आप बहुत अच्छे से और बिना किसी गलती के हिंदी आर्टिकल आसानी से लिख सकते हैं। लेकिन यदि कहीं आप सोचते हैं कि आप ग्लोबल ऑडियंस को टारगेट करें, जिससे कि पूरे देश के ऑडियंस आपके ब्लॉग पर आए तो इसके लिए आप इंग्लिश ब्लॉगिंग भी कर सकते हैं या फिर आप दोनों भाषाओं में भी ब्लॉगिंग कर सकते हैं जैसे कि अलग-अलग प्लेटफार्म पर अलग-अलग लैंग्वेज का यूज़ करके आप दोनों तरह के ब्लॉग तैयार करके दोनों लैंग्वेज में ब्लॉग्गिंग करने पर विचार भी कर सकते हैं। 

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