Motivational story in Hindi बिल्ली न पाले - ldkalink
Motivational story in Hindi बिल्ली न पाले: यह हिंदी कहानी (kahani) एक ऐसे प्रेरणादायक (inspirational/prernadayak) कहानी के रूप में है जो हमें बताता है कि किसी और के कहे गए बातों को न मानकर, स्वयं किसी चीज का निर्णय लेना चाहिए क्योंकि इससे क्या नुकसान हो सकते हैं इसे हम एक कहानी के रूप में समझेंगे।
कई बार हमारे साथ भी ऐसा होता है की कोई हमें कुछ बताता है और हम बिना कुछ सोच ही उसके बात को सही मानकर उसी के बताए गए मार्ग पर चलने लग जाते हैं।
जब हम दूसरों के दिए उसे उपदेश पर बिना सोचे समझे चलते हैं तो कहीं ना कहीं हमे इसका नुकसान अपने लाइफ में देखने को मिलता ही है जो एक कहानी के रूप में अभी हम जाने वाले हैं।
Motivational story in Hindi बिल्ली न पाले |
Motivational story in Hindi बिल्ली न पाले
यह हिंदी कहानी के ऐसे संत की है जो गांव के पास जंगल में रहता था और वहां से पास वाले गांव में भिक्षा मांगने आया करता था।
उस संत के पास केवल एक ही कपड़ा था भिक्षा मांग कर आने के बाद में वह कपड़े उतार कर सो जाया करता था।
एक दिन उसके कपड़े चूहे कुतर गए, अब उनके पास कोई और दूसरा कपड़ा नहीं था जिसे वह पहन कर भिक्षा मांगने चला जाता।
वह उस फटे हुए कपड़े को ही पहनकर गांव की ओर निकल पड़ता है गांव वाले ने उसके कपड़े को देखा और पूछा यह कपड़े कैसे फट गए, संत ने बताया कि घर में बहुत सारे चूहे हैं सोते समय यह कपड़ा कुतर दिया है।
गांव वाले संत की बात सुनकर काफी दुखी होते हैं और उसे एक सलाह देते हैं कि आप अपने घर में एक बिल्ली पाल लो, जिससे कि आपके घर में एक भी चूहा नहीं रहेगा और फिर ना ही आपके कपड़े कुतरने का डर आपको होगा।
गांव वालों की यह सुझाव संत को बहुत पसंद आया और वह एक बिल्ली पालने का सोच लिया, कुछ ही दिनों में वह संत अपने घर एक बिल्ली ले आया, लेकिन यह बिल्ली सिर्फ दूध पीती थी।
संत ने सोचा इसके लिए दूध कहां से लाया जाए उसने सोचा दूध भी गांव वालों से मांग लूंगा, वह संत रोज गांव वालों से उस बिल्ली के लिए दूध मांग कर लाया करता था पर एक दिन गांव वालों ने मना कर दिया हम रोज-रोज दूध नहीं दे सकते हैं।
गांव वालों ने उसे एक सुझाव दिया, क्यों ना आप एक गाय पाल लेते जिससे कि आपकी बिल्ली के लिए दूध की व्यवस्था घर में ही हो जाएगी।
संत को गांव वालों का यह सुझाव बहुत अच्छा लगा और उसके दूसरे दिन अपने घर एक गाय भी ले आया, संत जहां रहता था वहां आसपास ज्यादा पेड़ पौधे घास नहीं थे जिससे की गाय के लिए भोजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी।
अब वह संत गाय के लिए घास भी गांव वालों से ही मांगा करता था, एक दिन गांव वालों ने घास भी मना कर दिया हम रोज-रोज आपकी गाय के लिए घास की व्यवस्था नहीं कर सकेंगे।
गांव वालों ने फिर उसे एक सुझाव दिया हमारे गांव में एक विधवा महिला रहती है क्यों ना आप इसे गाय की सेवा कराने के लिए रख लो, यह लड़की काम में बहुत अच्छी है यह बहुत अच्छे से आपके गाय की सेवा करेगी।
संत को गांव वालों का यह सुझाव काफी पसंद आया और वह उस स्त्री को अपने घर ले आया वह स्त्री दिखने में काफी सुंदर थी साथ में काम करते-करते वह उसे पसंद करने लगा था।
कुछ ही दिनों में दोनों की शादी हो गई और देखते ही देखते उनका एक बच्चा भी आ गया और इस तरह से उनका एक पूरा फैमिली बस गया।
अब संत को इन सबको पालना था लेकिन उनके पास आय का साधन सिर्फ गांव वालों से भिक्षा मांगना ही था, इतने आय में इन सब का पालन पोषण नहीं हो पा रहा था और वह अब बहुत तनाव में रहने लगा था।
ठीक ऐसे ही हम सबके साथ भी होता है जब हम दूसरों के द्वारा बताए गए बातों में बिना सोचे समझे आ जाते हैं, और फिर आगे चलकर हमें कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
Moral (शिक्षा)
बिल्ली ने पाले का अर्थ, किसी की बातों में ना आना और स्वयं सोच समझ कर निर्णय लेने से है।
हम सबके जीवन में भी यही होता है जब कोई हमें कुछ कहता है और हम बिना सोचे समझे उसकी बात को मानकर अपने जीवन में कई सारी दिक्कत, परेशानियों को बुलवा दे देते हैं।
इसलिए कहा गया है कि यदि आप किसी दूसरे के बहकावे में आकर कोई कदम उठाते हैं तो आपको आने वाले समय में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
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