बल (भौतिकी) - ldkalink
बल (bal): भौतिकी (physics) में bal kya hai या bal kise kahate hain और bal ki paribhasha क्या होती है आज के इस आर्टिकल में हम Bal के बारे में definition & meaning in Hindi विस्तार udaharan (examples) से जानने वाले हैं।
भौतिकी (bhautiki) के अंतर्गत बल (bal) का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में कई तरह के कार्यों को करने में होता है बिना बल के कोई भी कार्य संपन्न नहीं होता है यदि हम चाहते हैं कि हमारे द्वारा कोई कार्य संपन्न हो तो इसके लिए हमें बल की आवश्यकता होती ही है।
उदाहरण के लिए यदि हम चाहते हैं कि कोई वस्तु है जो जमीन पर रखी हुई है और इसे उठाकर हम दूसरी जगह पर एक टेबल पर रखना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिए हमें वस्तु को या तो उठाकर ले जाना पड़ेगा या फिर इसे खींचना या धकेलना पड़ेगा और इन सबके लिए हमें वस्तु पर बल लगाने की आवश्यकता होगी तभी वह वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति से हटकर दूसरी नई स्थिति पर पहुंचेगी।
बल (bal) |
इस तरह से वस्तु की स्थिति में परिवर्तन करने के लिए हमारे द्वारा वस्तु पर लगने के लिए जो बाह्य कारक की आवश्यकता होती है इसे ही हम बल कहते हैं चलिए अब हम बल (bal) को इसकी परिभाषा से समझने का प्रयास करते हैं।
बल किसे कहते हैं ? (Bal kise kahate Hain)
बल की परिभाषा (force definition in Hindi): बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन करता है या फिर परिवर्तन करने का प्रयास करता है बल एक सदिश राशि है इसका S.I.मात्रक न्यूटन (N) है इसमें परिणाम और दिशा दोनों होती है किसी वस्तु में बल लगने के कारण ही वह गति में आती है।
बल को हम अपने सरल शब्दों में कुछ इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि बल एक तरह का धक्का या खिंचाव है जो किसी वस्तु पर लगने पर उस वस्तु की अवस्था में परिवर्तन करने की क्षमता रखता है।
न्यूटन के द्वारा गति के द्वितीय नियम में बताए गए नियम के अनुसार, बल किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन के दर के समानुपाती होता है।
बल का एक विशेष गुण यह है कि जब यह किसी वस्तु पर लगता है तो वह वस्तु की स्थिर अवस्था से उसे गति अवस्था में ला सकने की क्षमता उसमें होती है या उसकी स्थिति में परिवर्तन का प्रयास करता है बल का उपयोग कई तरह के मशीनों, उपकरणों को चलाने के लिए किया जाता है।
बल के उदाहरण (Bal ke udaharan)
दैनिक जीवन में बल के कई उदहारण है जैसे की:
1. दरवाजे को खोलने या बंद करने में किया गया कार्य
जब हमारे द्वारा किसी दरवाजे को खोलने के लिए या बंद करने के लिए जो बाह्य कारक उस दरवाजे पर लगाया जाएगा हैं तो यही बाह्य कारक ही बल कहलाता है जो हमारे द्वारा दरवाजे पर लगाया जाएगा जिससे उसकी स्थिति में परिवर्तन होगा, इस तरह से किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए लगाया गया बहार कारक को ही बल कहा जाता है।
बल (bal) |
2. कुएं से पानी निकालने में किया गया कार्य
कुएं से पानी निकालने के लिए हमें बाल्टी को ऊपर की ओर खींचना पड़ता है बाल्टी तभी ऊपर की ओर विस्थापित होगी, जब बाल्टी को ऊपर की ओर लाने के लिए हमारे द्वारा बाह्य कारक लगाया जाएगा, इस लगने वाले बाह्य कारक को ही बल कहा जाता है।
बल (bal) |
3. स्पंज को दबाने में किया गया कार्य
स्पंज में बल लगने के कारण उसकी आकृति में परिवर्तन हो जाता है इस तरह से किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन करना होता है तो इस पर बल लगाने की आवश्यकता पड़ती है।
बल (bal) |
4. स्प्रिंग को खींचने में किया गया कार्य
जब हम किसी स्प्रिंग को किसी एक ओर से या फिर दोनों ओर से खींचते हैं तो ऐसा करने पर स्प्रिंग की लंबाई में परिवर्तन आ जाता है यानी कि उसके आकृति में परिवर्तन हो जाता है इस तरह से वस्तु की स्थिति में परिवर्तन करने के लिए वस्तु पर बल लगाना पड़ता है।
5. स्प्रिंग को खींचने में इसकी आकृति में परिवर्तन का होना
जब कभी हम किसी स्प्रिंग को एक ओर से या फिर दोनों ओर से खींचते हैं तो स्प्रिंग की आकृति में परिवर्तन हो जाता है यह परिवर्तन हमारे द्वारा स्प्रिंग पर लगने वाले बाह्य कारक अर्थात बल के कारण ही होता है।
6. टूथपेस्ट की नलिका को दबाने पर इसकी आकृति में परिवर्तन का होना
जब हम किसी टूथपेस्ट की नलिका को अपने हाथ से या किसी भी तरह के कोई डिवाइस से दबाते हैं तो हम देखते हैं की इस नलिका की आकृति में परिवर्तन हो जाता है यह परिवर्तन बाह्य कारक अर्थात बल के कारण होता है।
7. लोहे की पट्टी पर हथौड़ा मरने पर लोहे की पट्टी में होने वाला परिवर्तन
जब हम लोहे की पट्टी को गर्म करके इसे हथौड़े से पीटते हैं तो लोहे की पट्टी की आकृति बदलने लगती है क्योंकि लोहे की पट्टी पर बल लग रहा होता है।
8. गूथे हुए आंटे पर बल लगाने पर इसकी आकृति में परिवर्तन का होना
जब हमारे द्वारा आंटा गूथा जाता है और जब हम इसे अपने हाथ से दबाते हैं तो इसकी आकृति में परिवर्तन हो जाता है यह परिवर्तन हमारे द्वारा गूथे हुए आंटे पर लगने वाले बाह्य कारक के कारण होता है और यही लगने वाला बाह्य कारक ही बल कहलाता है।
वस्तु पर बल लगने से इस पर दिखने वाला प्रभाव:
- यदि वस्तु गति में है तो, वस्तु पर बल लगाकर इसकी गति को मंद या तेज किया जा सकता है।
- यदि वस्तु स्थिर अवस्था में है तो, इस पर बल लगाने से इसे गति अवस्था में लाया जा सकता है।
- यदि वस्तु गतिशील अवस्था में है तो, इस पर बल लगाने से उसे स्थिर व्यवस्था में लाया जा सकता है।
- किसी वस्तु पर बल लगाकर, उसकी आकृति में परिवर्तन कर सकते हैं।
बल कई प्रकार के होते हैं:
- गुरुत्वाकर्षण बल: गुरुत्वाकर्षण बल वह बल होता है जिसमें कोई भी दो पिंड (वस्तु) एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करता है प्रकृति में यह एक ऐसा बल है जो सभी तरह के पिंडों पर कार्य करता है चाहे वह वस्तु किसी भी पदार्थ से बने हो, गुरुत्वाकर्षण बल का मान उन पिंडों के द्रव्यमान के गुणनफल और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- स्थिर वैद्युत बल: उन बलो को स्थिर वैद्युत बल कहा जाता है जो दो आवेशित पिंडों के बीच लगता है इस तरह के बल में आकर्षण या प्रतिकर्षण हो सकता है स्थिर वैद्युत बल का मान आवेशों के परिणाम के गुणनफल के समानुपाती होता है और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- चुंबकीय बल: उन बलो को चुंबकीय बल कहा जाता है जो दो चुम्बकीय पिंडों के बीच लगता है इस तरह के बल में आकर्षण या प्रतिकर्षण हो सकता है चुंबकीय बल का मान चुम्बकीय आघूर्ण के गुणनफल के समानुपाती होता है और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- घर्षण बल: उन बलो को घर्षण बल कहा जाता है जो दो संपर्क सतहों के बीच कार्य करता है घर्षण बल हमेशा वस्तु के गति के विपरीत दिशा में कार्य करता है, जब एक वस्तु दूसरे वस्तु के ऊपर गति करती है तब गति के विपरीत दिशा में वस्तु को रोकने के लिए जो बल संपर्क सतहों के बीच कार्य करता है इन्हे घर्षण बल कहा जाता है, घर्षण बल का मान उन दोनों सतहों के बीच की संपर्क सतहों के क्षेत्रफल के समानुपाती तथा उनके बीच की सापेक्ष गति के वेग के अनुक्रमानुपाती होता है।
- आवेग बल: उन बलो को आवेग बल कहा जाता है जो एक निश्चित समय के लिए कार्य कर वस्तु की गति से परिवर्तन करता है आवेग बल का परिणाम वस्तु के द्रव्यमान और उसके वेग के परिवर्तन के गुणनफल के बराबर होता है।
- कणीय बल: कणीय बल, दो कणों के बीच लगने वाला बल होता है।
- बल आघूर्ण: किसी वस्तु को उसके किसी अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्ति को बल आघूर्ण कहा जाता है बल आघूर्ण एक सदिश राशि है जिसमें परिणाम और दिशा दोनों ही होता है इसका एस आई मात्रक न्यूटन मीटर है।
- प्रतिबल: प्रतिबल उस बल को कहा जाता है, जब यह किसी पिंड के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर कार्य करता है।
- तान बल: तान बल उस बल को कहा जाता है जब यह किसी तार या रस्सी पर लगता है।
- दबाव बल: दबाव वल वह बल होता है जो किसी सतह पर कार्य करता है और उस वस्तु की सतह को दबाने का कार्य करता है।
- पेशीय बल (धकेलना/खींचना): शरीर की मांसपेशियों द्वारा लगने वाले बल को पेशीय बल या फिर मांसपेशियां बल कहा जाता है, जब हमारे द्वारा किसी काम को करने के लिए हमारे शरीर के मांसपेशियों द्वारा जो बल वस्तु पर लगाया जाता है जैसे किसी टेबल को उठाना, फुटबॉल को मारना, दौड़ना, भागना आदि इस तरह के बल को पेशीय बल कहा जाता है पेशीय बल के कुछ उदाहरण, जमीन पर पड़ी किसी वस्तु को उठाना, घोड़े द्वारा टांगे को खींचना, जमीन में रखी पानी से भरी बाल्टी को ऊपर की ओर उठाना, जमीन पर रखें किसी मेज को धक्का देना आदि।
बल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न:-
प्रश्न 1. बल की परिभाषा क्या है?
उत्तर: बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन करता है या फिर परिवर्तन करने का प्रयास करता है जिसमें परिणाम और दिशा दोनों ही होता है।
प्रश्न 2. बल का एसआई मात्रक क्या है?
उत्तर: बल का एसआई मात्रक (SI unit) न्यूटन (N) है।
प्रश्न 3. बल का सूत्र क्या है?
उत्तर: बाल का सूत्र F = m×a
जहां m वस्तु का द्रव्यमान है, और a त्वरण है।
प्रश्न 4. बल का विमीय सूत्र क्या है?
उत्तर: बल का विमीय सूत्र (dimension) [MLT- 2] है।
प्रश्न 5. बल को कैसे मापा जाता है?
उत्तर: बल को न्यूटन से मापा जाता है।
प्रश्न 6. बल की इकाई क्या है?
उत्तर: बल की इकाई, अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में न्यूटन है और इसका प्रतीक चिन्ह N है इसका नाम भौतिक वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन के नाम पर रखा गया है जिनका गति और यांत्रिकी के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
प्रश्न 7. बल बराबर क्या होता है?
उत्तर: बल बराबर द्रव्यमान * त्वरण होता है।
प्रश्न 8. बल का प्रतीक चिन्ह क्या है?
उत्तर: बल का सामान्य प्रतीक चिन्ह (common symbols) F, वेक्टर F है।
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